🖋️ DAILY MUMBAI MITRA HINDI
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मुंबई व उपनगरों में गुटखा का जोर
◆ रजनीगंधा, राज निवास, विमल व नजर की राज्य में होती है धड़ल्ले से बिक्री
◆ हर महीने लगभग 200 करोड़ का गुटखा मुंबई- ठाणे परिसर में उतरता है
◆ वसई- विरार के बीच रॉयल गार्डन रेसॉर्ट के नजदीक ट्रक से उतारा जाता है गुटखा
◆ हर रोज गुटखे की दो गाड़ियां आती हैं, एक गाड़ी में गुटखे की 200 बोरियां रहती हैं।
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विशेष प्रतिनिधि, मुंबई
महाराष्ट्र में कानूनन प्रतिबंधित गुटखा रोज मुंबई व उपनगरों तथा ठाणे परिसर में आता है और चुपके से करोड़ों रुपए का गुटखा बेचा जाता है, ये खबर मुंबई मित्र ने इससे पहले प्रकाशित की थी। तब यह कहा गया था कि गुटखा के रैकेट का जल्दी ही पर्दाफाश किया जाएगा। बता दें कि महाराष्ट्र में गुटखा पर कानून प्रतिबंध लगा है। गुटखे के वितरण व विक्री पर मादक पदार्थ विरोधी कानून लागू है।
महाराष्ट्र में गुटखा उत्पादन पर भी बन्दी है लिहाजा अन्य राज्यों से यहां पर गुटखा लाया जाता है। मुंबई व ठाणे परिसर में गुजरात, हैदराबाद, कर्नाटक से गुटखा लाया जाता है। सबसे ज्यादा गुटखा गुजरात से आता है। ये गुटखा मुंबई- अहमदाबाद हाईवे से ट्रकों के जरिए आता है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ठाणे की सीमा में आने के बाद गुटखा वसई- विरार के बीच रॉयल गार्डन रेसॉर्ट के नजदीक ट्रकों से उतारा जाता है। फिर गुटखे की बोरियों को छोटे छोटे टेम्पो में भरकर अलग अलग दिशाओं में रवाना किया जाता है।
हर महीने लगभग 200 करोड़ का गुटखा मुंबई- ठाणे परिसर में उतरता है। ठाणे ग्रामीण, पालघर पुलिस, मीरा- भायंदर, वसई- विरार पुलिस आयुक्तालय की सीमा में ये गुटखा उतारा जाता है लेकिन इसकी पुलिस को कोई खबर नहीं है? इस बारे में आश्चर्य होता है। ठाणे ग्रामीण, पालघर पुलिस, मीरा- भायंदर, वसई- विरार पुलिस आयुक्तालय तथा गुटखा तस्करों के अर्थपूर्ण संबंध भी नहीं पता है? ऐसा संशय नागरिक गण व्यक्त करते हैं। वैसे दिखाने के लिए पुलिस कभी कभार छोटी मोटी कार्यवाही कर भी देती है। सिर्फ 25 बोरी गुटखा पकड़ा जाता है और इस तरह की कार्यवाही में वाहन चालक या क्लीनर की बलि दी जाती है। लेकिन मुख्य आरोपी को पुलिस द्वारा कायम रूप से फरार दिखाया जाता है। इस वजह से गुटखा माफिया धड़ल्ले से काम केते रहते हैं। उन पर कोई भी अंकुश नहीं लगता, ऐसा आरोप लगाया जाता है।
प्रमुख ब्रांड के गुटखे की हर रोज अमूमन दो गाड़ियां आती हैं, एक गाड़ी में गुटखे की लगभग 200 बोरियां रहती हैं। प्रत्येक बोरी के पीछे डिस्ट्रीब्यूटर को डीलर 5000 रुपए देता है। डिस्ट्रीब्यूटर ये गुटखा होलसेलर को पहुंचाता है। वहां से बिक्री के लिए खुदरा विक्रेता खुद गुटखा लेता है, या फिर होलसेलर के यहां से मंगवा लेता है। यह गुटखा वितरण की श्रृंखला है।
बाजार में रजनीगंधा, राज निवास, विमल व नजर ब्रांड की सबसे ज्यादा बिक्री होती है। इसलिए इस ब्रांड की
रोज लगभग 200 बोरियां यहाँ पर आती हैं।
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राज निवास गुटखे की कोटा से मुंबई की यात्रा
मुंबई आने वाले राजनिवास ब्रांड के गुटखे की राजस्थान के कोटा में फैक्ट्री है। वहां से गुटखा मुंबई- ठाणे परिसर में आता है। राजनिवास गुटखे की अपनी स्वतंत्र वितरण प्रणाली है। मुंबई में राजनिवास का मुंबई कारोबार आशु गुप्ता उर्फ शिवप्रकाश मनोज गुप्ता ( कानपुर का मूल निवासी) संभालता है। मुंबई में आशु गुप्ता का सहयोगी विकास गुप्ता है। दिलीप बादलानी
( जलगांव का मूल निवासी) नामक डिस्ट्रीब्यूटर नाशिक, औरंगाबाद, नांदेड़, धुले, जलगांव का पट्टा संभालता है। सूत्रों ने बताया कि ये गुटखा महालक्ष्मी ट्रांसपोर्ट तथा राजस्थान दिल्ली रोडलाइन्स- आर डी आर की गाड़ियों से मुंबई लाया जाता है।